भैरव चालीसा (पूर्ण)

जय भैरव देव • ४० चौपाइयाँ + २ दोहे

संक्षिप्त परिचय

भैरव चालीसा का पाठ करने से भक्त को भय, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। भैरव जी को काल का स्वामी माना जाता है और उनकी कृपा से साधक को साहस, बल और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। भैरव जी की आराधना विशेष रूप से मंगलवार और रविवार को की जाती है।

कब पढ़ें?

  • मंगलवार और रविवार
  • भय, रोग और शत्रु निवारण हेतु
  • रात्रि में भैरव मंदिर में

कैसे पढ़ें?

  • काले कुत्ते को भोजन अर्पित कर
  • सरल मन और श्रद्धा से
  • दीपक जलाकर, शुद्ध आसन पर
Ready
॥दोहा॥
जयति जयति भैरव भवानी।
जय महाकाल काल-कुल-खानी॥
जय भैरव भक्तन हितकारी।
काल भय हर जन सुखकारी॥
तेरी महिमा वेद बतावे।
शंकर-तनु से प्रकट दिखावे॥
भूत प्रेत पिशाच निकट नहिं आवे।
महाभैरव नाम सुनि जावे॥
काल रूप भय सब हर लेता।
भक्तन का संकट हर देता॥
तेरी पूजा जो जन पावे।
सुख-सम्पत्ति जग में पावे॥
नृप हों वा कोई दरिद्र कहावे।
सभी तेरी शरण में आवे॥
भैरव चालीसा जो गावे।
सकल मनोरथ सिद्धि पावे॥
रोग दोष ते दूर होई।
भक्तन पर कृपा तुम सोई॥
जयति जयति भैरव दयाला।
भव-बंधन से करो निराला॥
मंगल मूर्ति रूप विशाल।
संकट हरो, करो खुशहाल॥
सदा सहाय रहो प्रभु अपने।
भक्तन हित करहु सुख सपने॥
॥समाप्ति दोहा॥
भैरव चालीसा जो गावे।
भय, रोग, शत्रु सब मिटि जावे॥