॥दोहा॥
श्रीगुरु चरन कमल जौ, मनु शुद्धि होई॥
शिव भक्ति के इस पथ पर, मोखा सब दुःख होई॥
श्रीगुरु चरन कमल जौ, मनु शुद्धि होई॥
शिव भक्ति के इस पथ पर, मोखा सब दुःख होई॥
जय शिव शंकर शम्भो, भुज गिरिजा समेत॥
त्रिपुरारी महाबली, जटा में गंगा रहे॥
त्रिपुरारी महाबली, जटा में गंगा रहे॥
रुद्र स्वरूप भुजधर, नीलकण्ठ मनोहर॥
त्रिनेत्र शूलधर दीन, करुणा के अधार॥
त्रिनेत्र शूलधर दीन, करुणा के अधार॥
शिव नाम सुमिरन से, मिटे विपदा भारी॥
भक्त जो जपते जाप यह, पावें सुख विहारी॥
भक्त जो जपते जाप यह, पावें सुख विहारी॥
शिव शंकर के गुण गा, संत नर निसंकोच॥
भजत जो प्रेमा मन से, प्रारभत होई रोग दूर॥
भजत जो प्रेमा मन से, प्रारभत होई रोग दूर॥
भोले नाथ के कृपा से, सब काम सफल होई॥
दीनबन्धु दुख हरते, अनुग्रह तेरा भोले॥
दीनबन्धु दुख हरते, अनुग्रह तेरा भोले॥
गिरि शिखर के वासी, त्रिकाल जो जानें॥
भुक्ति मुक्ति के दाता, नाथ नरेश सुजानें॥
भुक्ति मुक्ति के दाता, नाथ नरेश सुजानें॥
भस्मरूपी तिलक सुंदर, जटामण्डल उजाले॥
डमरू बजे जब सुनो, हृदय में उमंगे उठाले॥
डमरू बजे जब सुनो, हृदय में उमंगे उठाले॥
शिव दीन देवों के आराध्य, भोले बन मोहन॥
सर्व देवों के देवाधिदेव, करुणा के सरोवर॥
सर्व देवों के देवाधिदेव, करुणा के सरोवर॥
ब्रह्मा विष्णु त्रिदेव पूजैं, शिव बिना न होई लीला॥
शिव के चरणों में समर्पित, साकार होय सिला॥
शिव के चरणों में समर्पित, साकार होय सिला॥
जयति जयति शिव शंकर, मंगलमय जीवन करैं॥
भक्ति भाव जो लगाने, संकट सब टलि जाँय॥
भक्ति भाव जो लगाने, संकट सब टलि जाँय॥
शिवभक्त जपें 'ॐ नमः शिवाय', मन समर्पण करो॥
संसार के जंजाल से, तुमको यह ध्यान छोरो॥
संसार के जंजाल से, तुमको यह ध्यान छोरो॥
भवसागर से जो पार पावें, शिव कृपा से वही॥
शिव स्तुति और सेवा से, जीवन बने सफल वही॥
शिव स्तुति और सेवा से, जीवन बने सफल वही॥
शिवदूत सर्वत्र फैले, सहज तू ही प्यारा॥
भव-भय सब मिट जाएँ, जिन पर तेरा सहारा॥
भव-भय सब मिट जाएँ, जिन पर तेरा सहारा॥
भजे जो बिन परहेज करे, शिव नाम ध्यावे पावन॥
दुःखों का नाश हो जाए, कल्याण हो घर-आँगन॥
दुःखों का नाश हो जाए, कल्याण हो घर-आँगन॥
नंदी वाहन तेरा साथ, गले में नाग का हार॥
शिव लिंग के दरबार में, जपे जो भक्त उपकार॥
शिव लिंग के दरबार में, जपे जो भक्त उपकार॥
शिवरात्रि का जो व्रत रखे, हर कष्ट से उबरे॥
शिव चालीसा निरन्तर जपे, जीवन में सुख बहरे॥
शिव चालीसा निरन्तर जपे, जीवन में सुख बहरे॥
शिव के दर्शन मात्र से, मन पावन हो जाए॥
शिव का नाम उच्चारण से, भयाभय सब भाग जाए॥
शिव का नाम उच्चारण से, भयाभय सब भाग जाए॥
शिवजी का रूप अद्भुत है, अनंत तत्त्व का सार॥
जप तेरा जो करे नित्य, पाता मोक्ष का आधार॥
जप तेरा जो करे नित्य, पाता मोक्ष का आधार॥
शिवभक्ति में जो विघ्न आए, वे सब दूर हो जाते॥
भक्ति तन मन जो लगाये, सुख-शांति प्राप्त पाते॥
भक्ति तन मन जो लगाये, सुख-शांति प्राप्त पाते॥
शिव की महिमा अनंत है, इसका न होय हिसाब॥
जिन्हें प्राप्त हो शिवालय, उन पर होती रिहायब॥
जिन्हें प्राप्त हो शिवालय, उन पर होती रिहायब॥
पार्वती सा सहचर रे, शिव संग जीवन सुहाना॥
दोलत, मान, सुख सब पाकर, भक्ति बने अडिग ठाना॥
दोलत, मान, सुख सब पाकर, भक्ति बने अडिग ठाना॥
शिव का त्रिशूल रक्षक है, जटा में चन्द्र शोभित॥
भस्म-भूषा तेरा अद्भुत, भक्तन पर कृपा अनंतित॥
भस्म-भूषा तेरा अद्भुत, भक्तन पर कृपा अनंतित॥
जो भी संकट में पड़े, भोले से छूट जाते॥
शिवचरण जो ध्यावे भक्ति से, सब संकट लुप्त जाते॥
शिवचरण जो ध्यावे भक्ति से, सब संकट लुप्त जाते॥
शिव के ध्यान से जन्म-जनम के, फल सब हलुका पड़े॥
भज अच्युत परमेश्वर को, जीवन सफल सब पाएँड़े॥
भज अच्युत परमेश्वर को, जीवन सफल सब पाएँड़े॥
शिवरूपी शिव शंकर की, महिमा जो गावे ठीक॥
भक्ति में डूबा जन पावै, सुख-समाधि जो अतीक॥
भक्ति में डूबा जन पावै, सुख-समाधि जो अतीक॥
शिव की भक्ति से ही, मन को मिलता शाश्वत शरण॥
भवबंध से जो मुक्त हुए, कहें वही पावनरण॥
भवबंध से जो मुक्त हुए, कहें वही पावनरण॥
शिव जी दीनानाथ हमारे, करूणासिन्धु विपुल॥
जो जपे 'ॐ नमः शिवाय' नित्य, वह पावें जीवन सुलभ॥
जो जपे 'ॐ नमः शिवाय' नित्य, वह पावें जीवन सुलभ॥
शिव जी के मंत्र में छिपा, अमृत का अनूप तत्त्व॥
जप जो करे धैर्य से भक्त, हो जाए सब शुभ प्रपत्ति॥
जप जो करे धैर्य से भक्त, हो जाए सब शुभ प्रपत्ति॥
शिव का नाम अनन्त गुणों का, शाश्वत त्रिवेणी सार॥
भक्त जो लगा कर चले, जीवन बन जाए उपहार॥
भक्त जो लगा कर चले, जीवन बन जाए उपहार॥
शिव चालीसा जो जो पढ़े, हर पाप से छुटकारा पाएँ॥
शिवजी का आशीर्वाद पाकर, सफल योजनाएँ बन जाएँ॥
शिवजी का आशीर्वाद पाकर, सफल योजनाएँ बन जाएँ॥
हे भोलेनाथ! कर दयालु, मेरे दुःख हर लेओ॥
शिव चालीसा का पाठ कर, कृपा करहु शिवदेव देखो॥
शिव चालीसा का पाठ कर, कृपा करहु शिवदेव देखो॥
जो भी भक्त तेरा संकल्प ले, तेरा आर्शीवाद रहे साथ॥
शिव की शरण में जीवन सजा, पावे मोक्ष का परम भाव॥
शिव की शरण में जीवन सजा, पावे मोक्ष का परम भाव॥
॥दोहा॥
पार्वतीपति देव शंकर, त्रिनेत्री त्रिलोक नायक।
नमो नमः करूँ तेरी शरण, शिव रक्षक हरि समानायक॥
पार्वतीपति देव शंकर, त्रिनेत्री त्रिलोक नायक।
नमो नमः करूँ तेरी शरण, शिव रक्षक हरि समानायक॥