॥दोहा॥
जय गुरुदत्त अत्रेय, त्रिगुण अवतार।
सकल जनम हित करन को, धरयो भव पार॥
जय गुरुदत्त अत्रेय, त्रिगुण अवतार।
सकल जनम हित करन को, धरयो भव पार॥
॥चौपाई॥
जय दिगम्बर दत्त दयाला। कृपा सिन्धु सुख सागर नाला॥
त्रिमूर्ति रूप तुम्हारो भारी। ब्रह्मा विष्णु शंकर अवतारी॥
जय दिगम्बर दत्त दयाला। कृपा सिन्धु सुख सागर नाला॥
त्रिमूर्ति रूप तुम्हारो भारी। ब्रह्मा विष्णु शंकर अवतारी॥
जय दत्त गुरु अद्भुत स्वामी। पारब्रह्म परमानन्द धामी॥
अज जन्म अज योगीश्वर राजा। मायापति जग के त्राता॥
अज जन्म अज योगीश्वर राजा। मायापति जग के त्राता॥
गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु साखी। गुरु देवो महेश्वर राखी॥
गुरु साक्षात परब्रह्म दयाला। दत्तात्रेय करहु निहाला॥
गुरु साक्षात परब्रह्म दयाला। दत्तात्रेय करहु निहाला॥
अनसूया घर जन्म तुम्हारा। तीनों लोक भयो उजियारा॥
अत्रि ऋषि के घर अवतारी। दत्तात्रेय नाम विख्याती॥
अत्रि ऋषि के घर अवतारी। दत्तात्रेय नाम विख्याती॥
जय दिगम्बर दिगनिवासा। भक्त जनन के कष्ट निवासा॥
योगीश्वर जगपाल दयाला। भव बंधन से मुक्त कराला॥
योगीश्वर जगपाल दयाला। भव बंधन से मुक्त कराला॥
नवद्वार पुर सुशोभित तनु। त्रिनेत्र त्रिशूल ध्वजा गनु॥
गाय, कुत्ता साथ सदा रक्षक। दत्त प्रभु सब दुखहारी व्रतक॥
गाय, कुत्ता साथ सदा रक्षक। दत्त प्रभु सब दुखहारी व्रतक॥
भक्त करत जब ध्यान तुम्हारा। मिटत सकल संतान हमारा॥
सुख सम्पत्ति वृद्धि भई। संकट सब बिनसत समय वही॥
सुख सम्पत्ति वृद्धि भई। संकट सब बिनसत समय वही॥
जपे दत्त नाम मन लागी। मिटे क्लेश भव दुख भागी॥
भवसागर से तरन करावो। निज चरणन में भक्त बसावो॥
भवसागर से तरन करावो। निज चरणन में भक्त बसावो॥
जो कोई श्रद्धा भाव चित लाई। दत्त कृपा से मुक्ति पाई॥
संतन के तुम संत दयाला। त्रिपुरारि जग जीवन डाला॥
संतन के तुम संत दयाला। त्रिपुरारि जग जीवन डाला॥
तुम्हरी महिमा पार न पावे। शेष सहस्त्र मुख गुण गावे॥
दीनदयाल भक्त हितकारी। जय जय जय दत्त मुरारी॥
दीनदयाल भक्त हितकारी। जय जय जय दत्त मुरारी॥
॥दोहा (समाप्ति)॥
दत्तात्रेय कृपा करहु, रखहु भक्तन मान।
सकल मनोरथ सिद्ध हो, मिटे सकल अज्ञान॥
दत्तात्रेय कृपा करहु, रखहु भक्तन मान।
सकल मनोरथ सिद्ध हो, मिटे सकल अज्ञान॥