॥दोहा॥
श्री गणेशाय नमः अर्जुन सारथि।
विघ्न विनाशक शुभ लाभ करथि॥
श्री गणेशाय नमः अर्जुन सारथि।
विघ्न विनाशक शुभ लाभ करथि॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
मंगल मूर्ति मोदक दाता, बुद्धि रूप अवतारा॥
मंगल मूर्ति मोदक दाता, बुद्धि रूप अवतारा॥
वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देवा सर्वकार्येषु सर्वदा॥
निर्विघ्नं कुरु मे देवा सर्वकार्येषु सर्वदा॥
एकदन्त सर्व विघ्न हरता।
भक्ति भाव से जो जपे तंता॥
भक्ति भाव से जो जपे तंता॥
भुजा में तो है कृपा भारी।
पद कमल तेरे जो धारी॥
पद कमल तेरे जो धारी॥
गजानन मंगलमूर्ति।
दीनबंधु दयालु पुरीति॥
दीनबंधु दयालु पुरीति॥
सकल जगत में है तेरा वैभव।
जन की रक्षा करते हो सर्वदा शरणागत॥
जन की रक्षा करते हो सर्वदा शरणागत॥
दिव्य दिव्य रूप तेरा बड़ा प्यारा।
सर्व देवों में तुम प्रथम न्यारा॥
सर्व देवों में तुम प्रथम न्यारा॥
सिर पर तेरा मुकुट शोभित।
हाथ में शूल, एक में द्रव्यनीय निधि॥
हाथ में शूल, एक में द्रव्यनीय निधि॥
भक्ति जो करे मन से सच्चा।
उसे मिले तू ही सुख शाश्वत॥
उसे मिले तू ही सुख शाश्वत॥
ज्ञान की जो देलें तू बिजुरी।
संकट के सब दानव चूरि॥
संकट के सब दानव चूरि॥
गजानन रूप तुम्हरो निराला।
मोदक प्रिय, वक्रतुंड आला॥
मोदक प्रिय, वक्रतुंड आला॥
सब मंगल तुहि पदारूढ़ी।
तुम पर निर्भर जग की भलाई॥
तुम पर निर्भर जग की भलाई॥
गणपति बुद्धि दाता न्यारा।
अंत काल पर होत उद्धारा॥
अंत काल पर होत उद्धारा॥
शुभारम्भ में जो तुझको ध्यावत।
उसका कार्य बने सफलता पावत॥
उसका कार्य बने सफलता पावत॥
जो भी बाधा आये चलन में।
तुम उसे दूर कर देव सहज में॥
तुम उसे दूर कर देव सहज में॥
त्रिनेत्र तेरा तेज विशाल।
त्रिभुवन में फैला उजियाल॥
त्रिभुवन में फैला उजियाल॥
जप 'ॐ गं गणपतये नम:' सदा।
भगा दे विपदा और दुःख विदा॥
भगा दे विपदा और दुःख विदा॥
गुण गावे पुरा जग सारा।
गणपति की होती बड़ाई भारा॥
गणपति की होती बड़ाई भारा॥
गजानन को दीन ही मानें।
सब दुःख पीरा से रिहा जानें॥
सब दुःख पीरा से रिहा जानें॥
ब्रह्मा विष्णु और महेश्वर।
सब तेरी स्तुति करें निरंतर॥
सब तेरी स्तुति करें निरंतर॥
सदा रहें भक्तों के पास।
कष्ट न हो, दूर सब विपास॥
कष्ट न हो, दूर सब विपास॥
सिंदूर से तेरा मुकुट सुशोभित।
दीपा से रोशन जग अनन्तित॥
दीपा से रोशन जग अनन्तित॥
विनायक लला, मंगल दाता।
कष्ट दूर कर समभावदाता॥
कष्ट दूर कर समभावदाता॥
जो भी तेरा ध्यावे प्रभु भजन।
फले जीवन सुख, मान और धन॥
फले जीवन सुख, मान और धन॥
गणपति बप्पा मंगल करैं।
गृह, दवर और देश समादन करैं॥
गृह, दवर और देश समादन करैं॥
सेवक जो तेरा नित्य करे गुण।
मिले उसे मुकुट मान संगून॥
मिले उसे मुकुट मान संगून॥
संकट कटें, बाधा मिटें सब।
गणेश चरणों से हो आनंद द्वंद॥
गणेश चरणों से हो आनंद द्वंद॥
प्रिय सखा तुम, विजय के निर्माता।
शरणागत पर करो कृपा न्यारा॥
शरणागत पर करो कृपा न्यारा॥
मोदक के भोग को जो बांटे।
लक्ष्मी और बुद्धि से रहे संवरे॥
लक्ष्मी और बुद्धि से रहे संवरे॥
गणपति की स्तुति जो करे साधक।
उसे मिले मोक्ष का पथ उद्गमक॥
उसे मिले मोक्ष का पथ उद्गमक॥
हरि-हर के नाम में जो टिके।
गणेश का नाम उसको सुख देवे॥
गणेश का नाम उसको सुख देवे॥
जो भी काम आरम्भ करे तुमसे।
विघ्न विघ्न कटी जाएं तुमसे॥
विघ्न विघ्न कटी जाएं तुमसे॥
सभी देव तव गुण गावत रहें।
सृष्टि में तेरी जय जयकार गूंथे॥
सृष्टि में तेरी जय जयकार गूंथे॥
भक्ति भाव से जो 'गणपति' जपे।
उसके जीवन में बैर-भय सब झपे॥
उसके जीवन में बैर-भय सब झपे॥
जय देव जय देव गणपति।
संकट हरन मंगल स्तुति॥
संकट हरन मंगल स्तुति॥
॥दोहा॥
गणपति चालीसा जो पढ़े मन से।
ताके बंधन कटें, भंडारे सुख दें सर्वदा॥
गणपति चालीसा जो पढ़े मन से।
ताके बंधन कटें, भंडारे सुख दें सर्वदा॥