लक्ष्मी चालीसा

माँ लक्ष्मी की स्तुति • धन-समृद्धि एवं कल्याण हेतु

संक्षिप्त परिचय

लक्ष्मी चालीसा माँ लक्ष्मी की स्तुति है — इसके पाठ से धन, समृद्धि, वैभव और दरिद्रता से मुक्ति की प्राप्ति होती है।

कब पढ़ें?
  • शुक्रवार या पूर्णिमा के दिन
  • दिवाली, धनतेरस या विशेष व्रत पर
  • प्रतिदिन प्रातः या सायंकाल
कैसे पढ़ें?
  • साफ-स्वच्छ स्थान पर बैठकर
  • दीपक और धूप अर्पित कर
  • ध्यानपूर्वक श्रद्धा से पाठ करें
Ready
॥दोहा॥
पद कमल बैठे लक्ष्मी, सेवक जन सुख पाव।
सकल मनोरथ सिद्ध कर, मंगल मंगल भाव॥
जय गणपति गिरिजा सुवन। मंगल मूर्ति मोर मन धन॥
जय जय लक्ष्मी माता, तुम बिन सुख न पाता॥
सकल लोक की तुम हो दाता। दरिद्र नाश कर सुखदाता॥
धन सम्पत्ति घर में बरसावे। दुख दरिद्र सब दूर भगावे॥
तुम बिन जगत में कौन सहारा। सुख सम्पत्ति दाता प्यारा॥
जो जन सच्चे मन से ध्यावे। उसकी मनोकामना फल पावे॥
सिंहासन में विराजे भवानी। चार भुजा सुशोभित रानी॥
कमल पुष्प हाथन में शोभा। दिग्गज गाते जय जय महिमा॥
सागर मंथन में प्रकट भई। अमृत घट संग लक्ष्मी आई॥
इन्द्रादि देव सब मिल गाये। लक्ष्मी माता सब सुख पाये॥
विष्णु प्रिय लक्ष्मी जगमाता। भक्तन की सब दूरि व्यथा॥
तुम करुणा की सागर माता। शरणागत की रक्षा करता॥
लक्ष्मी चालीसा जो गावे। दरिद्रता निकट न आवे॥
भक्त करे जो ध्यान तुम्हारा। ता पर होई कृपा अपारा॥
भवसागर से पार उतारे। लक्ष्मी नाम जो जन उचारे॥
जय जय जय लक्ष्मी माता। सब पर होई कृपा आपकी न्यारा॥
॥दोहा॥
लक्ष्मी चालीसा जो पढ़े। सुनै और ध्यान।
ता पर कृपा करैं जगत जननि, मिले मनोवांछित धन॥