राम चालीसा

श्री राम की स्तुति • श्रद्धा व मंगल हेतु

संक्षिप्त परिचय

राम चालीसा प्रभु श्री राम की स्तुति है — इसके नियमित पाठ से मन की शांति, संकटों का नाश और जीवन में मंगल की प्राप्ति होती है।

कब पढ़ें?
  • रवि/सोम/मंगल को या किसी भी दिन सुबह/संध्या
  • राम नावमी, दशहरे या पूजा के बाद
  • नियमित पाठ से विशेष लाभ
कैसे पढ़ें?
  • शुद्ध स्थान पर, दीप व धूप के साथ
  • मन एकाग्र रहकर प्रत्येक चौपाई का उच्चारण करें
  • इच्छा हो तो आरती व भजन जोड़ें
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॥दोहा॥
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
वरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥
जय श्री राम जय श्री राम, मंगल मूर्ति सुख दाता॥
भक्त जो ध्यावे पद तुम्हारा, पावै सुख-सम्पत्ति राजा॥
राम दूत अतुलित बलधामा, अयं सिया सुधा से समाना॥
धनुर्धर दशरथ नन्दन, गुण अनवरत सुनहाना॥
सियाराम मय सब जग जानी, करौं प्रणाम बहु विनय से॥
भक्ति भाव जो लगाये मन से, मिटै सब दुःख तन-मन से॥
राम नाम से होता उद्धार, वस्तु में सुख और वैभव निराला॥
जो जपे 'राम' नित्य मन लगाकर, पावे जीवन का मधुर माला॥
वनवास काल की महिमा भारी, सीता-समेत रघुकुल नन्दन॥
सबका उद्धार कर गये तुम, रघुवर जस दुख भंजन॥
सीता माता सहित तुम्ही, रावण दहन की ठानी॥
बलराम सम न कोई तुम्हारे, संकट हरन की बानी॥
रामचंद्र कृपालु भक्षक, करुणा के सुखदाता॥
भक्तन पर जब दृष्टि डालो, मिटे भ्रांति और व्यथा॥
राम लखन सीता सहित जब, पवित्र चरण पर ध्यावै॥
सभी पाप कटें, जीवन में, सुमिरन राम का फल पावै॥
रामरूपी ज्योति अनंत है, गुणों का संग अनमोल॥
जैसे सूरज से भेद न पाये, टारें सब अंधकार-कोल॥
भक्त जो राम नाम लेके, दुःख भवसागर से पार पाए॥
नाम के जाप से मिलै यश-कीर्ति, जीवन में जग में छाए॥
राम की भक्ति से बढ़े मान, बुद्धि, धन और दयालुता॥
जो सुख पाना चाहै सच्चे मन से, करे राम का चिंतन सततता॥
रामकथा सुनने से मन शुद्ध, मन में बने पुण्य धारा॥
जो नर सुने रामकथा ध्यान से, जीवन पावै मंगल बड़ा॥
राम नाम की महिमा अपरम्पार, बड़ों-बड़ों को नसीब हुई॥
अंत काल में जो इसे धारण करे, वही सदा सुख समृद्धि मिले॥
राम का वनवास, सीता हरण, लंका दहन की गाथा महान॥
भक्त जो यह कथा पढ़े और मन से, उसे मिले भगवान का आशीष महान॥
राम की गाथा में जो भाव हो, पाप कटें और कल्याण आए॥
रामचरणों के जो भक्त समर्पित, जीवन में श्री और मान पाए॥
राम दूत हनुमान सखा, भक्ति के स्वरुप विशुद्ध॥
जो हनुमान की सेवा करे मन से, पाए दीनता दूर सुध॥
हनुमान प्रेरित रामचरन, लंका ताल में प्रगट स्थान॥
जिन्हें याद कर जो नर स्तुति करे, कटें असीम सब तान॥
राम नाम का यह अमृतरस, हृदय में जो धारण करे॥
वह दुखों से मुक्त होकर, जीवन में आनंद अरुण करे॥
राम कथा से मिलती शक्ति, हिम्मत निर्भयता प्यारी॥
जो मन लगाकर पढ़े इसे, पाते सब मनोकामनाएँ सारी॥
राम चरन कमल ही शरण, जीवन का वही आधार॥
जो भी इस नाम को स्मरण करै, पावे धन-धन्य संसार॥
दुष्ट दलन के तुम नायक, धर्म की वृद्धि कर दियो॥
राम के दूतों की जो सेवा करे, साथ उसका भाग्य बधियो॥
श्रीराम की स्तुति से मन निर्मल, गुण संपत्ति का वर्धन॥
राम नाम उच्चारण नित्य जो करे, पावे प्रभु का अचल चरण॥
अर्चना, भजन, कीर्तन से जो जीवन मांजे, फल पावै सर्वोत्तम॥
राम नाम सुमिरन से ही सब दुःख मिटें, जीवन होवे आनंदमय स्र्वतम॥
राम लखन सीता के चरणों में, जन झुक कर प्रणाम करे॥
जो तन-मन-धन से समर्पित है, उसी का भव सागर हरे॥
राम भक्ति करने वाला जो, सत्य पथ पर चल पड़े॥
संकट, भय, शत्रु सब दूर हो, जीवन में उजियारा भरे॥
राम नाम से निर्मल मन मिले, बुद्धि-दीक्षा सब प्राप्त होै॥
रामचालीसा जो जो मन से पढ़े, उसे भगवान का साथ नाथ होै॥
रामकथा सुनी क्लेश मिटे, जीवन में सुख उतरे भारी॥
रामचालीसा के जप से ही, मिलती है मोक्ष की डोरी सवारी॥
जो जन्म-जनम के दुराचार से, थक गये और भय ग्रस्त हों॥
राम नाम जप कर जो लगे, पाते हैं वे सुख सुश्रुत संतोष॥
रामजी पर जो विश्वास रखे, उसका कल्याण सदा होै॥
राम भक्ति में जो लीन हो, पाये परम सन्तोष भावोै॥
रामजी की प्रतिमा, रामचरित की गाथा, दशरथ-सीता की कथा॥
जो पढ़े उन्हें दिखाई दे, सच्चा जीवन, परम सुख की ओथेथा॥
राम की कृपा सदा बनी रहे, भक्तों पर अनुग्रह भारी॥
रामचालीसा का निरन्तर पाठ कर, घर-परिवार रहे खुशहाली॥
जय श्रीराम, जय श्रीराम, वंदे प्रभु श्री रघुवर॥
भक्त-जन की रक्षा करो सर्वदा, दीन दयालु कर दानवर॥
॥दोहा॥
रामचालीसा जो जो पाठै, भक्ति सहित मन से।
उसे मिले रघुनाथ कृपा, दुख न पहुँचै तन-वे॥