॥दोहा॥
बन्दौं श्री गणेश को, धरि सिन्दूर ललाट।
जय संतोषी मां, कहो पूरी करो सब ठाट॥
बन्दौं श्री गणेश को, धरि सिन्दूर ललाट।
जय संतोषी मां, कहो पूरी करो सब ठाट॥
जय संतोषी मां जग जननी। धन-धान्य सुख सम्पदा करनी॥
जय हो जगत जननि, जय मां। जय जय मां, संतोषी मां॥
जय हो जगत जननि, जय मां। जय जय मां, संतोषी मां॥
शुक्रवार के दिन, तेरा ध्यान धरें। मनवांछित फल, हर नर-नारी पावें॥
तुम हो ज्ञान, विवेक की दाती। तुम ही हो सबकी भाग्यविधात्री॥
तुम हो ज्ञान, विवेक की दाती। तुम ही हो सबकी भाग्यविधात्री॥
तुम्हारी कृपा से, सब काम बने। तुम्हारी कृपा से, सब सुख मिले॥
तुम्हारी कृपा से, सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से, सब शुभ हो॥
तुम्हारी कृपा से, सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से, सब शुभ हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
॥दोहा॥
जय संतोषी मां, जगत जननी।
दया, कृपा, सुख, शांति, समृद्धि, सब देनी॥
जय संतोषी मां, जगत जननी।
दया, कृपा, सुख, शांति, समृद्धि, सब देनी॥