श्री सूर्य चालीसा

समस्त जगत के प्रकाशक, भगवान सूर्यदेव की स्तुति • सरल व पठनीय रूप

संक्षिप्त परिचय

श्री सूर्य चालीसा समस्त जगत को ऊर्जा और जीवन प्रदान करने वाले भगवान सूर्यदेव की महिमा का वर्णन करती है। सूर्यदेव को नवग्रहों में राजा माना जाता है। इस चालीसा का पाठ करने से उत्तम स्वास्थ्य, तेज, सफलता और मन की शांति प्राप्त होती है।

कब पढ़ें?
  • नियमित रूप से प्रतिदिन, विशेषकर सूर्योदय के समय
  • रविवार के दिन पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है
  • रोगों से मुक्ति और जीवन में ऊर्जा के लिए
कैसे पढ़ें?
  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर, पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें
  • सूर्यदेव को जल अर्पित करने के बाद पाठ करें
  • पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ, स्पष्ट उच्चारण के साथ
Ready
॥दोहा॥
कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माल अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग॥

जय जय जय रवि देव भुवन भाम। जय जय जय दिनकर सुख धाम॥
जय जय जय रवि तमहरन। जय जय जय दिनकर दुख हरन॥
सेवक को शुभ आशीष देहु। निज भक्तन की रक्षा हेतु॥
तुम हो ज्ञान, विज्ञान के दाता। तुम ही हो सबके पालनहारा॥
तुम हो जग के पालनहारे। दुख, दरिद्र सबके हरहारे॥
रोग, शोक सब तुम हरते। तुम ही हो सब जग के धर्ता॥
तुम्हारी कृपा से सब काम बने। तुम्हारी कृपा से सब सुख मिले॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब शुभ हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब काम बने। तुम्हारी कृपा से सब सुख मिले॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब शुभ हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
॥दोहा॥
सूर्य देव, तुम्हारी कृपा, सब सुख देहु।
जो नर, नारी, तुमको ध्यावे, सब सुख पावे॥