॥दोहा॥
कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माल अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग॥
कनक बदन कुंडल मकर, मुक्ता माल अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग॥
जय जय जय रवि देव भुवन भाम। जय जय जय दिनकर सुख धाम॥
जय जय जय रवि तमहरन। जय जय जय दिनकर दुख हरन॥
जय जय जय रवि तमहरन। जय जय जय दिनकर दुख हरन॥
सेवक को शुभ आशीष देहु। निज भक्तन की रक्षा हेतु॥
तुम हो ज्ञान, विज्ञान के दाता। तुम ही हो सबके पालनहारा॥
तुम हो ज्ञान, विज्ञान के दाता। तुम ही हो सबके पालनहारा॥
तुम हो जग के पालनहारे। दुख, दरिद्र सबके हरहारे॥
रोग, शोक सब तुम हरते। तुम ही हो सब जग के धर्ता॥
रोग, शोक सब तुम हरते। तुम ही हो सब जग के धर्ता॥
तुम्हारी कृपा से सब काम बने। तुम्हारी कृपा से सब सुख मिले॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब शुभ हो॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब शुभ हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब काम बने। तुम्हारी कृपा से सब सुख मिले॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब शुभ हो॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब शुभ हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
तुम्हारी कृपा से सब दुख दूर हो। तुम्हारी कृपा से सब सुख पास हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
तुम्हारी कृपा से सब काम हो। तुम्हारी कृपा से सब पुण्य का हो॥
जो नर, नारी इस चालीसा को पढ़े। सो नर, नारी सब दुख हरें॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
धन, समृद्धि, सुख, शांति। सब देहु मातु, हे शांति॥
॥दोहा॥
सूर्य देव, तुम्हारी कृपा, सब सुख देहु।
जो नर, नारी, तुमको ध्यावे, सब सुख पावे॥
सूर्य देव, तुम्हारी कृपा, सब सुख देहु।
जो नर, नारी, तुमको ध्यावे, सब सुख पावे॥