॥दोहा॥
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
वरनउँ विष्णु जी के गुण अपार, संकट नाश कर उद्धारि॥
श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
वरनउँ विष्णु जी के गुण अपार, संकट नाश कर उद्धारि॥
जय श्री विष्णु, जगत पालन।
भक्तों के संकट हरन, कृपा अपरंपार।
भक्तों के संकट हरन, कृपा अपरंपार।
पद पंकज तुम्हारे, जग में उजियारा।
अधर्म का नाश करो, धर्म बढ़ाओ प्यारा।
अधर्म का नाश करो, धर्म बढ़ाओ प्यारा।
काल, मृत्यु, रोग, शत्रु सब दूर।
भक्तन की रक्षा करो, जीवन में भरपूर।
भक्तन की रक्षा करो, जीवन में भरपूर।
असीम शक्ति, सदा सहायक।
जो भक्त कर पाठ नित्य, पावै सुख महान।
जो भक्त कर पाठ नित्य, पावै सुख महान।
नारायण, गोविंद, माधव रूप।
भक्तन का कल्याण कर, संकट हरहु ध्रुव।
भक्तन का कल्याण कर, संकट हरहु ध्रुव।
अघ, पाप, दुःख सब मिटावे।
नाम ले जो विष्णु का, जीवन सफल बनावे।
नाम ले जो विष्णु का, जीवन सफल बनावे।
विष्णु कृपा से सुख-समृद्धि।
भक्ति भाव से जीवन बने धन्य।
भक्ति भाव से जीवन बने धन्य।
विविध रूप धारण करो, भक्तन पर कृपा बरसाओ।
सभी संकट दूर करो, घर-परिवार सुखाओ।
सभी संकट दूर करो, घर-परिवार सुखाओ।
जय श्री विष्णु, जगद्गुरु।
भक्तों के संकट हरहु, कृपा अपार रूप।
भक्तों के संकट हरहु, कृपा अपार रूप।
॥दोहा॥
विष्णु चालीसा जो पाठै, भक्तमन से भक्ति सहित।
सदा सुख, समृद्धि, शांति मिलै, जीवन में हर संकट मिटै॥
विष्णु चालीसा जो पाठै, भक्तमन से भक्ति सहित।
सदा सुख, समृद्धि, शांति मिलै, जीवन में हर संकट मिटै॥